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मंगल दोष : कारण और निवारण क्या करें जब कुंडली में हो मंगल दोष



जिस जातक की जन्म कुंडली, लग्न/चंद्र कुंडली आदि में मंगल ग्रह, लग्न से लग्न में (प्रथम), चतुर्थ, सप्तम, अष्टम तथा द्वादश भावों में से कहीं भी स्थित हो, तो उसे मांगलिक कहते हैं।

  जिस जातक की जन्म कुंडली में 1, 4, 7, 8, 12वें भाव में कहीं पर भी मंगल स्थित हो उसके साथ शनि, सूर्य, राहु पाप ग्रह बैठे हों तो व पुरुष गोलिया मंगल, स्त्री जातक चुनड़ी मंगल हो जाती है अर्थात द्विगुणी

मांगलिक कुंडली का मिलान : वर, कन्या दोनों की कुंडली ही मांगलिक हों तो विवाह शुभ और दाम्पत्य जीवन आनंदमय रहता है। एक सादी एवं एक कुंडली मांगलिक नहीं होना चाहिए।

मंगल-दोष निवारण : मांगलिक कुंडली के सामने मंगल वाले स्थान को छोड़कर दूसरे स्थानों में पाप ग्रह हों तो दोष भंग हो जाता है। उसे फिर मंगली दोष रहित माना जाता है तथा केंद्र में चंद्रमा 1, 4, 7, 10वें भाव

शास्त्रकारों का मत ही इसका निर्णय करता है कि जहां तक हो मांगलिक से मांगलिक का संबंध करें। भी मांगलिक एवं अमांगलिक पत्रिका हो, दोनों परिवार पूर्ण संतुष्ट हों अपने पारिवारिक संबंध के कारण तो भी यह.संबंध श्रेष्ठ नहीं है, ऐसा नहीं करना चाहिए।

ऐसे में अन्य कई कुयोग हैं। जैसे वैधव्य विषागना आदि दोषों को दूर रखें। यदि ऐसी स्थिति हो तो 'पीपल' विवाह, कुंभ विवाह, सालिगराम विवाह तथा मंगल यंत्र का पूजन आदि कराके कन्या का संबंध अच्छे ग्रह योग वाले वर के साथ करें।  

मंगल यंत्र विशेष परिस्थिति में ही प्रयोग करें। देरी से विवाह, संतान उत्पन्न की समस्या, तलाक, दाम्पत्य सुख में कमी एवं कोर्ट केस इत्या‍दि में ही इसे प्रयोग करें। छोटे कार्य के लिए नहीं।

विशेष : विशेषकर जो मांगलिक हैं उन्हें इसकी पूजा अवश्य करना चाहिए। चाहे मांगलिक दोष भंग आपकी
कुंडली में क्यों न हो गया हो फिर भी मंगल यंत्र मांगलिकों को सर्वत्र जय, सुख, विजय और आनंद देता है।...
मांगलिक-दोष दूर करते हैं मंगल के 21 नाम। निम्न 21 नामों से मंगल की पूजा करें।
1. ऊँ मंगलाय नम:
2. ऊँ भूमि पुत्राय नम:
3. ऊँ ऋण हर्वे नम:
4. ऊँ धनदाय नम:
5. ऊँ सिद्ध मंगलाय नम:
6. ऊँ महाकाय नम:
7. ऊँ सर्वकर्म विरोधकाय नम:
8. ऊँ लोहिताय नम:
9. ऊँ लोहितगाय नम:
10. ऊँ सुहागानां कृपा कराय नम:
11. ऊँ धरात्मजाय नम:
12. ऊँ कुजाय नम:
13. ऊँ रक्ताय नम:
14. ऊँ भूमि पुत्राय नम:
15. ऊँ भूमिदाय नम:...
16. ऊँ अंगारकाय नम:
17. ऊँ यमाय नम:
18. ऊँ सर्वरोग्य प्रहारिण नम:
19. ऊँ सृष्टिकर्त्रे नम:
20. ऊँ प्रहर्त्रे नम:
21. ऊँ सर्वकाम फलदाय नम:  
विशेष: किसी ज्योतिषी से चर्चा करके ही पूजन करना चाहिए। मंगल की पूजा का विशेष महत्व होता है। अपूर्ण या कुछ जरूरी पदार्थों के बिना की गई पूजा प्रतिकूल प्रभाव भी डाल सकती है।

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आंखों की गतिविधियों से भी जान सकते हैं ‘मांगलिक दोष है या नहीं’

ज्योतिष विधा के अनुसार मंगल ग्रह विनाशकारी माना गया है। यह जिस भी जातक की कुंडली में प्रवेश करता है, उसे नष्ट करके रख देता है। उसके जीवन में उथल-उथल मच जाती है, कोई भी कार्य सफल नहीं होता, तमाम कोशिशों के बाद भी वह असफल ही रहता है।

ज्योतिष विशेषज्ञों के अनुसार जन्म कुंडली में मंगल ग्रह के नीच अवस्था में होने से जातक को रक्त संबंधित बीमारियां सबसे पहले जकड़ लेती हैं। इसके अलावा वह जिस घर में वास करता है वहां बिजली के उपकरण जल्दी-जल्दी खराब होने लगते हैं। तो यदि आपकी कुंडली में भी मंगल दोष है तो आगे बताए जा रहे हैं कुछ उपाय।  रोज़ाना करें, जल्द ही आपको फर्क महसूस होगा...

मंगल दोष से पीड़ित जातक को छोटे भाई बहनों का ख्याल रखना चाहिए। धर्म शास्त्रों के अनुसार मंगलवार के दिन हनुमानजी के चरण से सिन्दूर ले कर उसका टीका माथे पर लगाने से हनुमान मंगल दोष को नष्ट कर देते हैं।



आप रोज़ाना या विशेष तौर पर मंगलवार के दिन बंदरों को गुड़ और चने खिलाएं। इसके अलावा अपने घर में लाल पुष्प वाले पौधे या वृक्ष लगाकर उनकी देखभाल करनी चाहिए। समय-समय पर पौधे को पानी देना ना भूलें...

लेकिन क्या आप जानते हैं कि मंगल दोष से प्रभावी व्यक्ति को भूलकर भी ऐसी गतिविधियां नहीं करनी चाहिए जो उसके मंगल दोष को और भी बढ़ाए। उदाहरण के लिए यदि किसी जातक की कुंडली में मंगल पीड़ित है तो उन्हें क्रोध नहीं करना चाहिए। जितना हो सके अपने क्रोध पर नियंत्रण रखें।

आप कोई भी फैसला जल्दबाजी में ना लें, अन्यथा भारी नुकसान हो सकता है। खासतौर पर पैसों से जुड़ा फैसला सोच समझकर ही लें...

तो यदि आप मंगल दोष से पीड़ित हैं तो इन कार्यों को करने से बचें, लेकिन आप यदि जानते ही नहीं कि आप पर मंगल दोष है या नहीं तो हम आपको कुछ आसान टिप्स बताने जा रहे हैं। इसके लिए आपकी जन्म कुंडली देखने की भी आवश्यकता  नहीं है...

यदि सोते समय आपकी आंखे थोड़ी थोड़ी खुली रहती है या आपका मुंह सोते वक्त खुला रहता है। सामने की तरफ सीधा देखने पर भी आंख का हीरा या कॉर्निया थोड़ा उपर की तरफ हो या आंख के हीरे या कॉर्निया की नीचे की सफेदी दिखती हो तो इसका मतलब आप मांगलीक है।

यह बातें काफी दिलचस्प हैं, लेकिन यह जाने-माने ज्योतिषीय शोध का नतीजा ही है। यदि आपके साथ भी यही नतीजा सामने आता है तो तुरंत अपनी जन्म कुंडली का अध्ययन करवाकर जान लें... 
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कुंडली में कालसर्प दोष

अक्सर व्यक्ति कालसर्प दोष का नाम सुनते ही घबरा जाता है। कुंडली में कालसर्प दोष का पाया जाना कोई बहुत बड़ी घटना नहीं मानी जाती है। देखा जाता है कि 70 प्रतिशत लोगों की कुंडली में यह दोष होता है। आपको जानकार हैरानी होगी कि देश के प्रथम प्रधानमंत्री जी की कुंडली में भी यह दोष था और तो और क्रिकेट के भगवान सचिन तेंदुलकर की कुंडली भी कालसर्प दोष से प्रभावित थी लेकिन फिर भी दोनों व्यक्ति अपने-अपने क्षेत्रों में नाम और मान-सम्मान प्राप्त करने में सफल रहे।

कालसर्प दोष कुंडली में खराब जरूर माना जाता है किन्तु विधिवत तरह से यदि इसका उपाय किया जाए तो यही कालसर्प दोष सिद्ध योग भी बन सकता है। आइये तो जानते हैं कि क्या होता है यह कालसर्प दोष और किस प्रकार से यह व्यक्ति को प्रभावित करता है- 

जब किसी व्यक्ति की कुंडली में राहु  और केतू ग्रहों के बीच अन्य सभी ग्रह आ जाते हैं तो कालसर्प दोष का निर्माण होता है। क्योकि कुंडली के एक घर में राहु  और दूसरे घर में केतु के बैठे होने से अन्य सभी ग्रहों से आ रहे फल रूक जाते हैं। इन दोनों ग्रहों के बीच में सभी ग्रह फँस जाते हैं और यह जातक के लिए एक समस्या बन जाती है। इस दोष के कारण फिर काम में बाधा, नौकरी में रूकावट, शादी में देरी और धन संबंधित परेशानियाँ, उत्पन्न होने लगती हैं।


कालसर्प दोष के प्रकार
प्राचीन ज्योतिष ग्रंथों में 12 प्रकार के कालसर्प योगों का वर्णन किया गया है-
1-अनन्त  2-कुलिक  3-वासुकि  4-शंखपाल  5-पद्म  6-महापद्म  7-तक्षक  8-कर्कोटिक 9-शंखचूड़  10-घातक  11- विषाक्तर  12-शेषनाग।


अनंत कालसर्प योग
अगर राहु  लग्न में बैठा है और केतु सप्तम में और बाकी ग्रह इन दोनों ग्रहों के बीच में तो कुंडली में अनंत कालसर्प दोष का निर्माण हो जाता है। अनंत कालसर्प योग के कारण जातक को जीवन भर मानसिक शांति नहीं मिलती। इस प्रकार के जातक का वैवाहिक जीवन भी परेशानियों से भरा रहता है।

कुलिक कालसर्प योग
अगर राहु कुंडली के दुसरे घर में, केतु अष्ठम में विराजमान है और बाकी ग्रह इन दोनों ग्रहों के बीच में है तब कुलिक कालसर्प योग का निर्माण होता है। इस योग के कारण व्यक्ति के जीवन में धन और स्वास्थ्य संबंधित परेशानियाँ उत्पन्न होती रहती हैं।

वासुकि कालसर्प योग
जन्मकुंडली के तीसरे भाव में राहु और नवम भाव में केतु विराजमान हो तथा बाकि ग्रह बीच में तो वासुकि कालसर्प योग का निर्माण होता है। इस प्रकार की कुंडली में बल और पराक्रम को लेकर समस्या उत्पन्न होती हैं।

शंखपाल कालसर्प योग
अगर राहु  चौथे घर में और केतु दसवें घर में हो साथ ही साथ बाकी ग्रह इनके बीच में हों तो शंखपाल कालसर्प योग का निर्माण होता है। ऐसे व्यक्ति के पास प्रॉपर्टी, धन और मान-सम्मान संबंधित परेशानियाँ बनी रहती हैं।

पद्म कालसर्प योग
जब जन्मकुंडली के पांचवें भाव में राहु, ग्याहरहवें भाव में केतु और बीच में अन्य ग्रह हों तो पद्म कालसर्प योग का निर्माण होता है। ऐसे इंसान को शादी और धन संबंधित दिक्कतें परेशान करती हैं।

महा पद्म कालसर्प योग
अगर राहु किसी के छठे घर में और केतु बारहवें घर में विराजमान हो तथा बाकी ग्रह मध्य में तो तब महा पद्म कालसर्प योग का जन्म होता है। इस प्रकार के जातक के पास विदेश यात्रा और धन संबंधित सुख नहीं प्राप्त हो पाता है। 

तक्षक कालसर्प योग
जब जन्मकुंडली के सातवें भाव में राहु और केतु लग्न में हो तो इनसे तक्षक कालसर्प योग बनता है। यह योग शादी में विलंब व वैवाहिक सुख में बाधा उत्पन्न करता है।

कर्कोटक कालसर्प योग
अगर राहु आठवें घर में और केतु दुसरे घर आ जाता है और बाकी ग्रह इनके बीच में हों तो कर्कोटक कालसर्प योग कुंडली में बन जाता है। ऐसी कुंडली वाले इंसान का धन स्थिर नहीं रहता है और गलत कार्यों में धन खर्च होता है।

शंखनाद कालसर्प योग
जब जन्मकुंडली के नवम भाव में राहु और तीसरे भाव में केतु हो और सारे ग्रह इनके मध्य हों तो इनसे बनने वाले योग को शंखनाद कालसर्प योग कहते है। यह दोष भाग्य में रूकावट, पराक्रम में रूकावट और बल को कम कर देता है।

पातक कालसर्प योग
इस स्थिति के लिए राहु दसंम में हो, केतु चौथे घर में और बाकी ग्रह इन दोनों ग्रहों के बीच में तब पातक कालसर्प योग का निर्माण होता है। ऐसा राहु  काम में बाधा व सुख में भी कमी करने वाला बन जाता है।

विषाक्तर कालसर्प योग
जब जन्मकुंडली के ग्याहरहवें भाव में राहु और पांचवें भाव में केतु हो और सारे ग्रह इनके मध्य मे अटके हों तो इनसे बनने वाले योग को विषाक्तर कालसर्प योग कहते है। इस प्रकार की कुंडली में शादी, विद्या और वैवाहिक जीवन में परेशानियां बन जाती हैं।

शेषनाग कालसर्प योग
अगर राहु बारहवें घर में, केतु छठे में और बाकी ग्रह इनके बीच में हो तो शेषनाग कालसर्प योग का निर्माण होता है। ऐसा राहु  स्वास्थ्य संबंधित दिक्कतें, और कोर्ट कचहरी जैसी समस्याएं उत्पन्न करता है।
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धन पाने के लिये दूध से करें ये ज्योतिषीय उपाय

यदि आपकी घर में धन नहीं ठहरता या हानि होती रहती है तो अपनी कुंडली के अनुसार आप ज्योतिषीय उपाय जान सकते हैं  ज्योतिषाचार्यों से। 

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धन पाने के लिये दूध से करें ये ज्योतिषीय उपाय
दूध स्वास्थ्य के लिये बहुत ही महत्वपूर्ण आहार है, प्रोटीन से लेकर हमारी सेहत के लिये जरूरी विभिन्न तत्व दूध में होते हैं। दूध हमारी सेहत बनाने के लिये तो कारगर है ही लेकिन क्या आप जानते हैं दूध से धन प्राप्ति भी हो सकती है। नहीं नहीं दूध बेचकर पैसा कमाने की बात नहीं कर रहा उस तरीके से धन कमाने में मेहनत थोड़ी ज्यादा करनी पड़ती है। तो यहां हम आपको कुछ ऐसे ज्योतिषीय उपाय बता रहे हैं जिनके प्रताप से धन प्राप्ति की आपकी कामना पूर्ण हो सकती है।
देवी-देवताओं की पूजा में खासकर भगवान भोलेनाथ की, आपने दूध का इस्तेमाल होते देखा होगा। यदि आप शिवशंकर के उपासक हैं तो आपने जरूर शिवलिंग को दूध से नहालाया भी होगा। दरअसल ज्योतिष के विद्वान दूध को चंद्रमा का कारक मानते हैं। इसलिये ग्रहों के नकारात्मक प्रभाव से बचने के लिये विद्वान ब्राह्मण भी आपको शिवलिंग पर दूध अर्पित करने की सलाह देते होंगे। यदि आप राहू से पीड़ित हैं तो आपको सांप को दूध पिलाने का सूझाव भी अवश्य मिला होगा।
असल में इसके पिछे यही मान्यता काम करती है कि दूध सभी को प्रिय होता है जिसे चढ़ाने पर सभी देवता, ग्रह आदि प्रसन्न होते हैं और आप पर से उनका अशुभ प्रभाव कम हो जाता है और शुभ परिणाम मिलने लगते हैं।
कैसे करें उपाय
रात को सोने से पहले तो आप दूध पीते ही होंगे वह आपको अच्छी नींद देने के लिये अच्छा है यानि सेहत दुरूस्त करता है साथ ही यदि आप धन पाने के इच्छुक हैं तो एक गिलास दूध अपने बिस्तर के पास रखें मगर इतने पास भी नहीं कि नींद में आपका हाथ लगे दूध बिस्तर पर गिर जाये या फिर रात को आप उठें और गिलास आपके पैरों से टकराजाये और दूध फर्श पर दूध का गिरना बहुत अशुभ माना जाता है इसलिये सुरक्षित तरीके से गिलास को अपने बिस्तर के नजदीक टेबल आदि पर रख सकते हैं। अब करना आपको ये है कि सुबह उठकर नहा धौकर स्वच्छ हों व इस दूध के गिलास को ले जाकर बबूल के पेड़ की जड़ में डाल दें। बबूल का पेड़ कहां मिलेगा यह आपको ही खोजना पड़ेगा हालांकि इतना दुर्लभ पेड़ नहीं है आम तौर पर मिल जाता है। और हां यह उपाय आपको सिर्फ सोमवार को करना है यानि दूध रविवार की रात को रखें ताकि सोमवार सुबह आप उसे बबूल के पेड़ की जड़ में डाल सकें। उम्मीद है इससे आपके बिगड़े काम बनने और धन प्राप्ति की पूरी संभावना है।
यह दूसरा उपाय भी आपको सोमवार को करना है। स्नानादि के पश्चात स्वच्छ होकर कच्चे दूध का प्रबंध करें व शिवालय में जाकर शिवलिंग पर इस दूध को अर्पित करें। यदि आप लगातार सात सोमवार इस उपाय को करें तो आपके सारे कष्टों का अंत होने की प्रबल संभावानाएं हैं। दरअसल मान्यता है कि इससे न सिर्फ भगवान शिव की कृपा मिलती है बल्कि समस्त ग्रहों के अशुभ प्रभाव भी दूर जाते हैं।
अभी जो उपाय आपको बता रहे हैं उससे आपके घर में मां लक्ष्मी की कृपा स्थाई रूप से बनी रहेगी। आपको करना सिर्फ इतना है कि एक लोहे के बर्तन में स्वच्छ ताजा जल लेकर इसमें चीनी, दूध एवं घी को मिश्रित करें व पीपल के वृक्ष की छाया में खड़े होकर इस मिश्रण को जड़ में अर्पित करें। इससे आप पर मां लक्ष्मी की कृपा हमेशा बनी रहेगी।

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धन के लिये घर लगायें क्रासुला का पौधा

धन के लिये घर लगायें क्रासुला का पौधा

भारतीय वास्तु शास्त्र हो या चीनी वास्तु शास्त्र फेंगशुई, घर में सुख शांति व समृद्धि लाने के अनेक उपाय बताये गये हैं। सुख-शांति व समृद्धि के लिये धन एक बहुत ही जरूरी तत्व है। इसलिये धन पाने के भी कई तरीके वास्तु में मौजूद हैं। इन्हीं में से एक है धन प्राप्ति के लिये लगाये जाने वाले पौधे। धन के पौधे के नाम मशहूर मनी प्लांट के बारे में तो आप जानते ही होंगे अगर सही दिशा में इसे लगाया जाये तो यह काफी लाभकारी होता है लेकिन गलत दिशा में लगाने से नुक्सान भी उठाना पड़ता है। लेकिन हम अपने इस लेख में आपको मनी प्लांट के बारे में नहीं बल्कि ऐसे ही एक अन्य पौधे की जानकारी दे रहे हैं जिसे अपने घर में लगाकर आप धन प्राप्ति की कामना कर सकते हैं।
दरअसल फेंगशुई एक चीनी वास्तु शास्त्र है जो कि सकारात्मक व नकारात्मक ऊर्जा के सिद्धांत पर काम करता है। फेंगशुई वास्तु में जितने भी उपाय बताये जाते हैं वे घर में मौजूद नकारात्मक ऊर्जा को दूर कर घर के वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा को प्रवाहित करते हैं।

फेंगशुई के अनुसार धन देता है क्रासुला का पौधा

क्रासुला, यह बहुत ही मुलायम मखमली लगने वाला फैलावदार पौधा होता है जिसकी चौड़ी पत्तियां होती हैं। इसकी पत्तियों का रंग हरे और पीले रंग का मिश्रण जैसा होता है क्योंकि यह न तो सही से हरा होता है और न ही अच्छे से पीला बल्कि दोनों के मिले-जुले रंग सी पत्तियां होती हैं इसकी।
क्रासुला का यह पौधा दिखने में सुंदर, छूने में मखमली लगता है, लेकिन दिखने में यह जितना मखमली होता है इसकी पत्तियां उतनी ही मजबूत भी होती हैं। दरअसल ये रबड़ जैसी होती हैं जिन्हें छूने या हाथ लगाने से टूटने या मुड़ने का खतरा नहीं रहता। वहीं आपको इसकी ज्यादा देखभाल करने की भी जरूरत नहीं होती हफ्ते में दो या तीन बार भी आप इसे पानी दे देते हैं तो यह सूखता नहीं है। साथ ही इसके लिये कोई लंबी-चौड़ी जगह की भी आवश्यकता नहीं होती, एक छोटे से गमले में इसे लगाया जा सकता है। छांव में भी अपने आपको यह पौधा पाल लेता है।

घर में कहां पर लगायें क्रासुला का पौधा

फेंगशुई के अनुसार क्रासुला का पौधा घर का प्रवेश द्वार जहां से खुलता है उसके दाहिनी ओर रखना चाहिये।
फेंगशुई वास्तु शास्त्र में क्रासुला के पौधे को सकारात्मक ऊर्जा का बहुत ही अच्छा स्त्रोत माना गया है। मान्यता है कि घर में इस पौधे को रख लिया जाये तो यह पौधा घर में धन वृद्धि करता है। धन को घर की ओर खींचने लगता है। यानि यदि आपके घर में धन नहीं ठहरता है तो भी आप फेंगशुई के इस उपाय को अपना सकते हैं।

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दान सबसे बड़ा धर्म

दान सबसे बड़ा धर्म       

हिन्दू धर्म के अनुसार दान धर्म से बड़ा ना तो कोई पूण्य है ना ही कोई धर्म। दान, भीख. जो भी बदले में कुछ भी पाने की आशा के बिना किसी ब्राह्मण, भिखारी, जरूरतमंद, गरीब लोगों को दिया जाता है उसे दान कहा जाता है. “दान-धर्मत परो धर्मो भत्नम नेहा विद्धते”।


दान के प्रकार
सात्विक दान – किसी भी देश में जिस समय पर जिन चीज़ो की कमी हैं उसे बिना किसी भी उम्मीद के जरूरतमंद लोगों को देना ही सात्विक दान है।


पद्म पुराण में, विष्णु फलक से कहते हैं - "दान के लिए तीन समय होते हैं - नित्या (दैनिक) किया गया दान, नैमित्तिक दान कुछ प्रयोजन के लिए किया गया दान, और काम्या दान किसा इच्छा के पूरी होने के लिए किया गया दान। इसके अलावा चौथी बार दान प्रायिक दान होता है जो मृत्यु से संबंधित है।“


(1) नित्य दान – जो प्राणी नित्य सुबह उठ कर अपने नित्या कर्म में देवता के ही एक स्वरूप उगते सूरज को जल भी अर्पित कर दे उसे ढेर सारा पुण्य मिलता है। उस समय जो स्नान करता है , देवता और पितर की पूजा करता है, अपनी क्षमता के अनुसार अन्न, पानी, फल, फूल, कपड़े, पान, आभूषण, सोने का दान करता है, उसके फल असीम है। जो भी दोपहर में भोजन कि वस्तु दान करता है, वह भी बहुत से पुण्य इकट्ठा कर लेता है। इसलिए एक दिन के तीनों समय कुछ दान ज़रूर करना चाहिए। कोई भी दिन दान से मुक्त नही होना चाहिए। अगर कोई भी एक पखवाड़े या एक महीने के लिए कुछ भी भोजन दान नहीं करता है, तो मैं भी उसे उतने ही समय के लिए भूखा रखता हूँ। मैं उसे एक ऐसी बीमारी में डाल देता हूँ जिसमें कि वह कुछ भी आनंद नहीं ले सकते है। जो कुछ भी नहीं दान नही कर पाता है, उसे कई व्रत रखने चाहिए।

 (2) नैमित्तिक दान - नैमित्तिक दान के लिए कुछ विशेष  नैमित्तिक अवसर और समय होते हैं। अमावस्या, पूर्णिमा, एकादशी, संक्रांति, माघ, अषाढ़, वैशाख और कार्तिक पूर्णिमा, सोमवती अमावस्या, युग तिथि, गजच्छाया, अश्विन कृष्ण त्रयोदशी ; व्यतीपात और वैध्रिती नामक योग ,पिता की मृत्यु तिथि आदि को नैमित्तिक समय दान के लिए कहा जाता है। जो भी देवता के नाम से कुछ भी दान करता है उसे सारे सुख मिलते हैं।

(3) काम्या दान - जब एक दान व्रत और देवता के नाम पर कुछ इच्छा की पूर्ति के लिए किया जाता है, उसे दान के लिए काम्या समय कहा जाता है ।
अभ्युदायिक दान क्या है - अभ्युदायिक दान का समय सभी शुभ अवसरों, शादी के समय, एक नवजात शिशु के मंदिर में अभिषेक संस्कार के समय, अच्छी तरह से अपनी क्षमता के अनुसार दान किया जाता है उसे दान के लिए अभ्युदायिक समय कहा जाता है। इस दान को करने वाला सभी प्रकार की सिद्धि को प्राप्त करता है।मनुष्य को मरते समय शरीर को नश्वर जानकर दान करना चाहिए। इस दान से यम लोक रास्ते में आप सभी प्रकार की आराम को प्राप्त करते हैं।

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ऑनलाइन टैरो रीडिंग - TAROT READING IN HINDI with famous tarot reader param queen Joytish guru Aditya shrama

ऑनलाइन टैरो-रीडिंग
ऑनलाइन टैरो...यहाँ आप अपने द्वारा चुने हुए टैरो कार्ड्स के आधार पर अपने जीवन के सभी क्षेत्रों जैसे प्यार, कैरियर, सेहत, धन, कार्यों, यात्रा, व्यवसाय, संबंधों आदि के विषय में जान सकते हैं।



टैरो ( Tarot in Hindi ) से की गई भविष्यवाणी और इसके द्वारा किया गया मार्गदर्शन काफी आसान और निश्चित होता है। टैरो कार्ड विद्या अन्य ज्योतिष शास्त्र की तरह ही है और उनके समकक्ष भी है। यह एक व्यक्ति के चरित्र और उसके व्यक्तित्व को समझने में काफी उपयोगी साबित होती है। कार्ड्स और उसपर अंकित चिन्ह से व्यक्ति के जीवन घटना क्रमों को समझने में मदद मिलती है।
मेष राशि 21 मार्च से 20 अप्रैल- एम्परर, किंग ऑफ़ वांड्स, वृषभ राशि 21 अप्रैल से 20 मई- हैरोफ़न्ट, किंग ऑफ़ पेंटाक्लेस, मिथुन राशि 21 मई से 20 जून- लवर्स, नाइट ऑफ़ स्वोर्ड्स, कर्क राशि 21 जून से 20 जुलाई- चेरियट, मून, क्वीन आफ कप्स, सिंह राशि 21 जुलाई से अगस्त 21- स्ट्रेंथ, सन, क्वीन ऑफ़ वांड्स, कन्या राशि 22 अगस्त से 22 सितम्बर- हर्मिट, नाइट ऑफ़ पेंटाक्लेस, तुला राशि 23 सितम्बर से 22 अक्टूबर- जस्टिस, द एम्प्रेस, क्वीन ऑफ़ स्वोर्ड्स, वृश्चिक राशि 23 अक्टूबर से 22 नवम्बर- डेथ, किंग ऑफ़ कप्स, धनु राशि 23 नवंबर से 20 दिसंबर- टेम्पेरन्स, नाइट ऑफ़ वांड्स, मकर राशि 21 दिसम्बर से 19 जनवरी- डेविल, क्वीन ऑफ़ पेंटाक्लेस, कुंभ राशि 20 जनवरी से 19 फरवरी- स्टार, किंग ऑफ़ स्वोर्ड्स, मीन राशि 20 फ़रवरी से 20 मार्च- हाई प्रीस्टेस , हंगेड मेन , नाइट ऑफ़ कप्स।
आइये देखते हैं कुछ माइनर अरकाना टैरो कार्डस के अर्थ, जो आपसे सम्बन्ध रखते हैं। हर राशि का अपना एक चिन्ह होता है और यह कार्ड चिन्ह, अपने गुण-अवगुणों से आपको प्रभावित करते हैं।

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      कुंडली में हम सामान्यतः राज योगों की ही खोज

      कुंडली में हम सामान्यतः राज योगों की ही खोज करते हैं, किन्तु कई बार स्वयंज्योतिषी व कई बार जातक इन दुर्योगों को नजरअंदाज कर जाता है,जिस कारण बार बारसंशय होता है की क्यों ये राजयोग फलित नहीं हो रहे.आज ऐसे ही कुछ दुर्योगों के बारे में बताने का प्रयास कर रहा हूँ,जिनके प्रभाव से जातक कई योगों से लाभान्वित होने से चूक जाते हैं.सामान्यतः पाए जाने वाले इन दोषों में से कुछ इस प्रकार हैं.
      १. ग्रहण योग: कुंडली में कहीं भी सूर्य अथवा चन्द्र की युति राहू या केतु से हो जाती है तो इस दोष का निर्माण होता है.चन्द्र ग्रहण योग की अवस्था में जातक डर व घबराहट महसूस करता है.चिडचिडापन उसके स्वभाव का हिस्सा बन जाता है.माँ के सुख में कमी आती है.किसी भी कार्य को शुरू करने के बाद उसे सदा अधूरा छोड़ देनाव नए काम के बारे में सोचना इस योग के लक्षण हैं.अमूमन किसी भी प्रकार के फोबिया अथवा किसी भी मानसिक बीमारी जैसे डिप्रेसन ,सिज्रेफेनिया,आदि इसी योग के कारण माने गए हैं.यदि यहाँ चंद्रमा अधिक दूषित हो जाता है या कहें अन्य पाप प्रभाव में भी होता है,तो मिर्गी ,चक्कर व मानसिक संतुलन खोने का डर भी होता है.सूर्य द्वारा बनने वाला ग्रहण योग पिता सुख में कमी करता है.जातक का शारीरिकढांचा कमजोर रह जाता है.आँखों व ह्रदय सम्बन्धी रोगों का कारक बनता है.सरकारी नौकरी या तो मिलती नहीं या उस में निबाह मुस्किल होता है.डिपार्टमेंटल इन्क्वाइरी ,सजा ,जेल,परमोशन में रुकावट सब इसी योग का परिणाम है.                          ++++ Ager app bhi inh preshaniyo se gujar rhe ha to apni kundali dekhaye hmhe...
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      @@@@ हनुमान जी का चित्र घर में कहाँ लगायें

      हनुमान जी का चित्र घर में कहाँ लगायें 🔴
      Jai shree bala ji
      श्रीराम भक्त हनुमान साक्षात एवं जाग्रत देव हैं। हनुमानजी की भक्ति जितनी सरल है उतनी ही कठिन भी। कठिन इसलिए की इसमें व्यक्ति को उत्तम चरित्र और मंदिर में पवित्रता रखना जरूरी है अन्यथा इसके दुष्परिणाम भुगतने होते हैं
      Jai shree bala ji
      हनुमानजी की भक्ति से चमत्कारिक रूप से संकट खत्म होकर भक्त को शांति और सुख प्राप्त होता है। विद्वान लोग कहते हैं कि जिसने एक बार हनुमानजी की भक्ति का रस चख लिया वह फिर जिंदगी में अपनी बाजी कभी हारता नहीं। जो उसे हार नजर आती है वह अंत में जीत में बदल जाती है। ऐसे भक्त का कोई शत्रु नहीं होता।
      Jai shree bala ji
      आपने हनुमानजी के बहुत से चित्र देखे होंगे। जैसे- पहाड़ उठाए हनुमानजी, उड़ते हुए हनुमानजी, पंचमुखी हनुमानजी, रामभक्ति में रत हनुमानजी, छाती चिरते हुए, रावण की सभा में अपनी पूंछ के आसन पर बैठे हनुमानजी, लंका दहन करते हनुमान, सीता वाटिका में अंगुठी देते हनुमानजी, गदा से राक्षसों को मारते हनुमानजी, विशालरूप दिखाते हुए हनुमानजी, आशीर्वाद देते हनुमानजी, राम और लक्षमण को कंधे पर उठाते हुए हनुमानजी, रामायण पढ़ते हनुमानजी, सूर्य को निगलते हुए हनुमानजी, बाल हनुमानजी, समुद्र लांगते हुए हनुमानजी, श्रीराम-हनुमानजी मिलन, सुरसा के मुंह से सूक्ष्म रूप में निकलते हुए हनुमानजी, पत्थर पर श्रीराम नाम लिखते हनुमानजी, लेटे हुए हनुमानजी, खड़े हनुमानजी, शिव पर जल अर्पित करते हनुमानजी, रामायण पढ़ते हुए हनुमानजी, अखाड़े में हनुमानजी शनि को पटकनी देते हुए, ध्यान करते हनुमानजी, श्रीकृष्ण रथ के उपर बैठे हनुमानजी, गदा को कंधे पर रख एक घुटने पर बैठे हनुमानजी, पाताल में मकरध्वज और अहिरावण से लड़ते हनुमानजी, हिमालय पर हनुमानजी, दुर्गा माता के आगे हनुमानजी, तुलसीदासजी को आशीर्वाद देते हनुमानजी, अशोक वाटिका उजाड़ते हुए हनुमानजी, श्रीराम दरबार में नमस्कार मुद्रा में बैठे हनुमानजी आदि।
      Jai shree bala ji
      जिस घर में हनुमानजी का चित्र होता है वहां मंगल, शनि, पितृ और भूतादि का दोष नहीं रहता। हनुमानजी के भक्त हैं तो घर में हनुमानजी के चित्र कहां और किस प्रकार के लगाएं यह जानना जरूरी है। आओ आज हम आपको बताते हैं श्रीहनुमानजी के चित्र लगाने के कुछ नियम.
      किस दिशा में लगाएं हनुमानजी का चित्र : वास्तु के अनुसार हनुमानजी का चित्र हमेशा दक्षिण दिशा की ओर देखते हुए लगाना चाहिए। यह चित्र बैठी मुद्रा में लाल रंग का होना चाहिए।
      Jai shree bala ji
      दक्षिण दिशा की ओर मुख करके हनुमानजी का चित्र इसलिए अधिक शुभ है क्योंकि हनुमानजी ने अपना प्रभाव सर्वाधिक इसी दिशा में दिखाया है। हनुमानजी का चित्र लगाने पर दक्षिण दिशा से आने वाली हर बुरी ताकत हनुमानजी का चित्र देखकर लौट जाती है। इससे घर में सुख और समृद्धि बढ़ती है।
      शयनकक्ष में न लगाएं हनुमान चित्र : शास्त्रों के अनुसार हनुमानजी बाल ब्रह्मचारी हैं और इसी वजह से उनका चित्र शयनकक्ष में न रखकर घर के मंदिर में या किसी अन्य पवित्र स्थान पर रखना शुभ रहता है। शयनकक्ष में रखना अशुभ है।
      Jai shree bala ji
      भूत, प्रेत आदि से बचने हेतु : यदि आपको लगता है कि आपके घर पर नकारात्मक शक्तियों का असर है तो आप हनुमानजी का शक्ति प्रदर्शन की मुद्रा में चित्र लगाएं। आप चाहे तो पंचमुखी हनुमानजी का चित्र मुख्य द्वारा के ऊपर लगा सकते हैं या ऐसी जगह लगाएं जहां से यह सभी को नजर आए। ऐसा करने से घर में किसी भी तरह की बुरी शक्ति प्रवेश नहीं करेगी।
      Jai shree bala ji
      पंचमुखी हनुमान:- वास्तुविज्ञान के अनुसार पंचमुखी हनुमानजी की मूर्ति जिस घर में होती है वहां उन्नति के मार्ग में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं और धन संपत्ति में वृद्घि होती है।
      Jai shree bala ji
      जलस्रोत दोष : यदि भवन में गलत दिशा में कोई भी जल स्रोत हो तो इस वास्तु दोष के कारण परिवार में शत्रु बाधा, बीमारी व मन मुटाव देखने को मिलता है। इस दोष को दूर करने के लिए उस भवन में ऐसे पंचमुखी हनुमान का चित्र लगाना चाहिए।
      जिनका मुख उस जल स्रोत की ओर देखते हुए दक्षिण पाश्चिम दिशा की तरफ हो।
      Jai shree bala ji
      बैठक रूप में : बैठक रूम में आप श्रीराम दरबार का फोटो लगाएं, जहां हनुमानजी प्रभु श्रीरामजी के चरणों में बैठे हुए हैं। इसके अलावा बैठक रूम में पंचमुखी हनुमानजी का चित्र, पर्वत उठाते हुए हनुमानजी का चित्र या श्रीराम भजन करते हुए हनुमानजी का चित्र लगा सकते हैं। ध्यान रखें कि उपरोक्त में से कोई एक चित्र लगा सकते हैं।
      jai shree bala ji
      पर्वत उठाते हुए हनुमान का चित्र : यदि यह चित्र आपके घर में है तो आपमें साहस, बल, विश्‍वास और जिम्मेदारी का विकास होगा। आप किसी भी परिस्‍थिति से घबराएंगे नहीं। हर परिस्थिति आपके समक्ष आपको छोटी नजर आएगी और तुरंत ही उसका समाधान हो जाएगा।
      jai shree bala ji
      उड़ते हुए हनुमान: यदि यह चित्र आपके घर में है तो आपकी उन्नती, तरक्की और सफलता को कोई रोक नहीं सकता। आपमें आगे बढ़ने के प्रति उत्साह और साहस का संचार होगा। निरंतर आप सफलता के मार्ग पर बढ़ते जाएंगे
      श्रीराम भजन करते हुए हनुमान : यदि यह चित्र आपके घर में है तो आपमें भक्ति और विश्‍वास का संचार होगा। यह भक्ति और विश्‍वास ही आपके जीवन की सफलता का आधार है।

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      Kundali Mein Mangal Grah Ke Yog

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      कुंडली में मंगल की अच्छी दशा बेहद कामयाब बनाती है. वहीं इस ग्रह की बुरी दशा इंसान से सब कुछ छीन भी सकती है. मंगल के बहुत से शुभ और अशुभ योगहैं.मंगल का पहला अशुभ योग -- किसी कुंडली में मंगल और राहु एक साथ हों तो अंगारक योग बनता है.- अक्सर यह योग बड़ी दुर्घटना का कारण बनता है.- इसके चलते लोगों को सर्जरी और रक्त से जुड़ी गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ता है.- अंगारक योग इंसान का स्वभाव बहुत क्रूर और नकारात्मक बना देता है.- इस योग की वजह से परिवार के साथ रिश्ते बिगड़नेलगते हैं.अंगारक योग से बचने के उपाय -- अंगारक योग के चलते मंगलवार का व्रत करना शुभ होगा.- मंगलवार काव्रतरखने के साथ भगवान शिव के पुत्र कुमार कार्तिकेय की उपासना करें.मंगल का दूसरा अशुभ योग -अंगारक योग के बाद मंगल का दूसरा अशुभ योग है मंगल दोष. यह इंसान के व्यक्तित्व और रिश्तों को नाजुक बना देता है.- कुंडली के पहले, चौथे, सातवें, आठवें और बारहवेंस्थान में मंगल हो तो मंगलदोष का योग बनता है.- इस योग में जन्म लेने वाले व्यक्ति को मांगलिक कहते हैं.- कुंडली की यह स्थिति विवाह संबंधों के लिए बहुतसंवेदनशील मानी जाती है.मंगलदोष के लिए उपाय -- हनुमान जी को रोज चोला चढ़ाने से मंगल दोष से राहत मिल सकती है.- मंगल दोष से पीड़ित व्यक्ति को जमीन पर ही सोनाचाहिए.मंगल का तीसरा अशुभ योग -नीचस्थ मंगल तीसरा सबसे अशुभ योग है. जिनकी कुंडली में यह योग बनता है, उन्हें अजीब परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है.- इस योग में कर्क राशि में मंगलनीचका यानी कमजोर हो जाता है.- जिनकी कुंडली में नीचस्थ मंगल योग होता है, उनमें आत्मविश्वास और साहस की कमी होती है.- यह योग खून की कमी का भी कारण बनता है.- कभी–कभी कर्क राशि का नीचस्थ मंगल इंसान को डॉक्टर या सर्जन भी बना देता है.नीचस्थ मंगल के लिए उपाय -- नीचस्थ मंगल के अशुभ योग से बचने के लिए तांबा पहनना शुभ सकता है.- इस योग में गुड़ और काली मिर्च खाने से विशेष लाभ होगा.मंगल का चौथा अशुभ योग -मंगल का एक और अशुभ योग है जो बहुत खतरनाक है. इसे शनि मंगल (अग्नि योग) कहा जाता है. इसके कारणइंसान की जिंदगी में बड़ी और जानलेवा घटनाओं का योग बनता है.- ज्योतिष में शनि को हवा और मंगल को आग माना जाता है.- जिनकी कुंडली में शनि मंगल (अग्नि योग)



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