दान सबसे बड़ा धर्म
हिन्दू धर्म के अनुसार दान धर्म से बड़ा ना तो कोई पूण्य है ना ही कोई धर्म। दान, भीख. जो भी बदले में कुछ भी पाने की आशा के बिना किसी ब्राह्मण, भिखारी, जरूरतमंद, गरीब लोगों को दिया जाता है उसे दान कहा जाता है. “दान-धर्मत परो धर्मो भत्नम नेहा विद्धते”।
दान के प्रकार
सात्विक दान – किसी भी देश में जिस समय पर जिन चीज़ो की कमी हैं उसे बिना किसी भी उम्मीद के जरूरतमंद लोगों को देना ही सात्विक दान है।
पद्म पुराण में, विष्णु फलक से कहते हैं - "दान के लिए तीन समय होते हैं - नित्या (दैनिक) किया गया दान, नैमित्तिक दान कुछ प्रयोजन के लिए किया गया दान, और काम्या दान किसा इच्छा के पूरी होने के लिए किया गया दान। इसके अलावा चौथी बार दान प्रायिक दान होता है जो मृत्यु से संबंधित है।“
(1) नित्य दान – जो प्राणी नित्य सुबह उठ कर अपने नित्या कर्म में देवता के ही एक स्वरूप उगते सूरज को जल भी अर्पित कर दे उसे ढेर सारा पुण्य मिलता है। उस समय जो स्नान करता है , देवता और पितर की पूजा करता है, अपनी क्षमता के अनुसार अन्न, पानी, फल, फूल, कपड़े, पान, आभूषण, सोने का दान करता है, उसके फल असीम है। जो भी दोपहर में भोजन कि वस्तु दान करता है, वह भी बहुत से पुण्य इकट्ठा कर लेता है। इसलिए एक दिन के तीनों समय कुछ दान ज़रूर करना चाहिए। कोई भी दिन दान से मुक्त नही होना चाहिए। अगर कोई भी एक पखवाड़े या एक महीने के लिए कुछ भी भोजन दान नहीं करता है, तो मैं भी उसे उतने ही समय के लिए भूखा रखता हूँ। मैं उसे एक ऐसी बीमारी में डाल देता हूँ जिसमें कि वह कुछ भी आनंद नहीं ले सकते है। जो कुछ भी नहीं दान नही कर पाता है, उसे कई व्रत रखने चाहिए।
(2) नैमित्तिक दान - नैमित्तिक दान के लिए कुछ विशेष नैमित्तिक अवसर और समय होते हैं। अमावस्या, पूर्णिमा, एकादशी, संक्रांति, माघ, अषाढ़, वैशाख और कार्तिक पूर्णिमा, सोमवती अमावस्या, युग तिथि, गजच्छाया, अश्विन कृष्ण त्रयोदशी ; व्यतीपात और वैध्रिती नामक योग ,पिता की मृत्यु तिथि आदि को नैमित्तिक समय दान के लिए कहा जाता है। जो भी देवता के नाम से कुछ भी दान करता है उसे सारे सुख मिलते हैं।
(3) काम्या दान - जब एक दान व्रत और देवता के नाम पर कुछ इच्छा की पूर्ति के लिए किया जाता है, उसे दान के लिए काम्या समय कहा जाता है ।
अभ्युदायिक दान क्या है - अभ्युदायिक दान का समय सभी शुभ अवसरों, शादी के समय, एक नवजात शिशु के मंदिर में अभिषेक संस्कार के समय, अच्छी तरह से अपनी क्षमता के अनुसार दान किया जाता है उसे दान के लिए अभ्युदायिक समय कहा जाता है। इस दान को करने वाला सभी प्रकार की सिद्धि को प्राप्त करता है।मनुष्य को मरते समय शरीर को नश्वर जानकर दान करना चाहिए। इस दान से यम लोक रास्ते में आप सभी प्रकार की आराम को प्राप्त करते हैं।
अभ्युदायिक दान क्या है - अभ्युदायिक दान का समय सभी शुभ अवसरों, शादी के समय, एक नवजात शिशु के मंदिर में अभिषेक संस्कार के समय, अच्छी तरह से अपनी क्षमता के अनुसार दान किया जाता है उसे दान के लिए अभ्युदायिक समय कहा जाता है। इस दान को करने वाला सभी प्रकार की सिद्धि को प्राप्त करता है।मनुष्य को मरते समय शरीर को नश्वर जानकर दान करना चाहिए। इस दान से यम लोक रास्ते में आप सभी प्रकार की आराम को प्राप्त करते हैं।
For More Information :
Famous Jyotish Guru Aditya
Call :- 098883-66265
Famous Tarot Card Reader Param
Call :- 099681-66265
Call :- 098883-66265
Famous Tarot Card Reader Param
Call :- 099681-66265
For Daily Updates Like --> http://fb.me/AstrologerTarotReader
0 comments:
Post a Comment